Wednesday, July 20, 2011

लो अब गूगल एडसेंस में भी दलाली

कमाने के अवसर अनगिनत हैं यदि बंदा थोड़ा अपनी अकल खपाये...गूगल एडसेंस के विज्ञापनों से कमाई बहुतेरे ब्‍लॉगरों के लिए अतिरिक्‍त आय का साधन बन गया है वहीं बहुत से ब्‍लॉगर अब भी इस अरमान को संजोये बैठे हैं कि कब गूगल एडसेंस उनके आवेदन को स्‍वीकार करे और वे कंप्‍यूटर पर बैठे-बैठे ही अपने खाते में डॉलर जमा होते हुए देखें

हालांकि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के लिए तो ये अभी-भी दूर की ही कौड़ी है क्‍योंकि हिन्‍दी अभी तक गूगल की विज्ञापन सेवा एडसेंस की समर्थित भाषाओं की सूची में नहीं है...हालांकि कुछ ब्‍लॉग्‍स पर अभी भी विज्ञापन नजर आ रहे हैं जिसका कारण है ब्‍लॉग्‍स पर सर्च इंजन से ट्रैफिक जुगाड़ने हेतु अंग्रेजी कीवर्ड्स की उपस्थिति...फिर भी आमदनी नगण्‍य ही है क्‍योंकि अव्‍वल तो ये विज्ञापन ब्‍लॉग पर दिखते ही नहीं और यदि दिखते भी हैं तो आने वाले पाठक इन पर क्लिक नहीं करते...मेरा तो अनुभव यही है बाकी वे लोग बतायें जो इससे यदि वाकई में कुछ कमाई कर रहे हैं

हालांकि आजकल गूगल अपने कुछ विज्ञापनों को हिन्‍दी में भी दिखा रहा है खासकर आजकल बंबई-पूना की सैर कराने वाले विज्ञापन ही हिन्‍दी में ज्‍यादा नजर आ रहे हैं जिन पर शायद ही कोई क्लिक करता होगा...क्‍योंकि हिन्‍दी चिट्ठों पर ज्‍यादातर ट्रैफिक हिन्‍दुस्‍तान से ही आता है...एक और एलआईसी का कराड़पति बनाने वाला विज्ञापन है जो कभी-कभार नजर आता है...ऐसे ही इक्‍के-दुक्‍के विज्ञापन नजर आते हैं फिलहाल हिन्‍दी में...वैसे गुजराती और मराठी भाषाओं के विज्ञापन भी इन इक्‍के-दुक्‍के विज्ञापनों की जमात मे शामिल हैं...

मेरे एक मित्र जिन्‍हें मोबाइल से ब्‍लॉगिंग का शौक है हाल ही में एडसेंस से परिचित हुए हैं और मोबाइल ब्‍लॉगिंग छोड़कर लैपटाप पर हाथ आजमा रहे हैं ताकि अपने अंग्रेजी ब्‍लॉग पर ट्रैफिक बढ़ाकर विज्ञापनों से कमाई की जा सके... उन्‍होंने दो-तीन बार एडसेंस के लिए आवेदन किया पर हर बार उनका आवेदन निरस्‍त हो गया...बेचारे बड़े दुखी थे...गूगल पर उन्‍हें गुस्‍सा भी आ रहा था कि गूगल सबको पैसा कमाने दे रहा है पर उनसे कन्‍नी काट रहा है...मैंने उनको सुझाव दिया कि विज्ञापन प्रदान करने वाली भारतीय सेवाओं जैसे एड्स फॉर इंडियंस या अन्‍य एफिलिएट प्रोग्राम में क्‍यों नहीं रजिस्‍टर कराते वे भी कुछ ना कुछ दे ही देंगे....पर उन्‍हें तो केवल गूगल के ही विज्ञापन चाहिए थे...वे खोजते रहे..उनको कुछ पता लगा तो उन्‍होंने बताया कि कुछ लोग नेट पर गूगल अकाउंट बनाकर देते हैं और उसका आपसे कुछ पैसा भी लेते हैं...मैंने कहा मुझे तो इसकी जानकारी है नहीं यदि ऐसा है तो एक बार कोशिश कर डालिए...उन्‍होंने संबंधित सेवा प्रदान करने वाले व्‍यक्ति से संपर्क कर उसे पैसा भी भेज दिया परंतु आज तक उसकी तरफ से कोई उत्‍तर नहीं मिला है...मेरे मित्र का कहना है कि इंटरनेट पर सक्रिय इस प्रकार के ठगों का काम मजे में चल रहा है और लोग उनके चंगुल में आकर पैसे भी गंवा रहे हैं....शायद लोगों से पैसे ऐंठने का ये भी एक तरीका है... क्‍योंकि बहुतेरे आवेदन जो एडसेंस को भेजे जाते हैं वे निरस्‍त ही हो जाते हैं....और बढि़या ट्रैफिक और विजिटर्स पाने वाले ब्‍लॉगर्स जल्‍द से जल्‍द इस एकाउंट की चाबी चाहते हैं....हालांकि मेरा मानना है कि शायद ही लोगों का काम बनता हो उनका पैसा तो लालच मे आकर पानी में ही बह जाता है....क्‍योंकि गूगल के नियम व शर्तें बहुत सख्‍त हैं....बहरहाल मेरे मित्र बेचारे दुखी हैं विज्ञापन ना जुटा पाने और पैसे डूबने के कारण...फिलहाल उन्‍होंने शादी-ब्‍याह कराने वाले किसी एफिलिएट विज्ञापन के लिए आवेदन किया है और तुरंत ही उन्‍हें एप्रूवल भी मिल गया....देखते हैं बेचारे इतनी मेहनत के बाद भी कुछ कमा पाते हैं या नहीं...

Tuesday, July 19, 2011

भ्रष्‍टाचार का कांग्रेस ब्रांड अचार : कुछ मजेदार तस्‍वीरें

अन्‍ना के आंदोलन और रामदेव प्रकरण के बाद से ही इंटरनेट पर कांग्रेस पार्टी, उसकी यूरोपियन हाईकमांड, मनमोहन और दिग्विजय सिंह की भयंकर तरीके से भद्द पिटी है...कांग्रेस पर चुटकुले, एसएमएस और तो व्‍यंग्‍यात्‍मक तस्‍वीरें रोज ही सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर देखने को मिल जाती हैं....कुछ तस्‍वीरें तो ऐसी हैं जिन्‍हें यहां प्रकाशित भी नहीं किया जा सकता...प्रस्‍तुत हैं एक झलक-


Thursday, June 02, 2011

कनिमोझी का फेसबुक प्रोफाइल Funny Facebook profile of Kanimozhi

अभी-अभी इनबॉक्‍स में एक मजेदार मेल मिला जिसमें 2जी स्‍पेक्‍ट्रम घोटाले की आरोपी और फिलहाल तिहाड़ जेल में कैद कनिमोझी का मजेदार फेसबुक प्रोफाइल दिखाया गया है...

अपने पिता करुणानिधि को लिखे एक संदेश में वे कह रही हैं-
"Appa, I prefer being in Tihar than Chennai Central Jail.....less mosquitoes, less humidity and Raja for company" :)

चित्र को बड़ा करने के लिए उस पर क्लिक करें-

Thursday, April 07, 2011

क्‍या अन्‍ना दूसरे जयप्रकाश साबित होंगे?

अन्‍ना हजारे के आंदोलन के चलते कुछ लोग जयप्रकाश की बात फिर से करने लगे हैं...जिनमें दोनों ही तरह के सुर है...कुछ का कहना है कि जब जयप्रकाश जैसे नेता की संपूर्ण क्रांति की लहर भी कोई बदलाव नहीं ला सकी ऐसे में जयप्रकाश के समय से ही चली आ रही मांग को अन्‍ना कैसे मनवा पाएंगे जब पूरा देश क्रिकेट की जीत के नशे में मदमस्‍त हो और मौजूदा सरकार ने भारत की अब तक की भ्रष्‍टतम सरकार का मेडल पहन रखा हो और जिसका नेतृत्‍व एक ऐसा प्रधानमंत्री कर रहा हो जिसे अब तक मीडिया और विपक्ष द्वारा की गई सरेआम बेइज्‍जती पर जरा भी शर्म नहीं आती हो और जो एक ही रटा-रटाया जवाब देना जानता हो- मुझे कुछ नहीं पता.... और ऐसी जनता जिसका एक विदेशी परिवार के सदस्‍य को युवराज कहे जाते समय खून ही नहीं खौलता हो...और तमाम भ्रष्‍टाचार या कहें भ्रष्‍टाचार के वर्ल्‍ड रिकॉर्ड बनाने वाली सरकार के प्रधानमंत्री के बारे में लोग कहते हुए मिल जाते हैं कि- बेचारा वो तो भला और ईमानदार है....
जनता को कुछ नहीं चाहिए उसे तो चालीस चोरों का सरदार भला और ईमानदार दिखना चाहिए फिर वो चालीस चोरों को भी स्‍वीकार कर लेगी...और गोरी चमड़ी के प्रति आदर तो जीन में है इसलिए हर जगह राहुल बाबा की जय है...ये कोई नहीं सोचना चाहता कि अभी तो हिंदुस्‍तान में फिर भी काली कमाई करने वाले मीडिया में आने के कारण कहने को ही सही पुलिस की गिरफ्त में हैं...युवराज के गद्दीनशीं होने और रामराज्‍य आने के बाद तो शायद पता भी ना चले कि इटली में बैठकर कौन भारत का गेम बजा रहा है और ना पुलिस ना इंटरपोल उसे पहचान पा रही है
पर फिलहाल भारत वर्ल्‍ड-कप जीता है और शायद आगामी दिनों में इस बात पर भी देशव्‍यापी आंदोलन हो जाए कि सरकार सचिन को भारत-रत्‍न क्‍यों नहीं दे रही है वैसे फिलहाल आईपीएल के कारण इस आंदोलन को थोड़ा आगे बढ़ाना ज्‍यादा मुनासिब लग रहा है..
हालांकि अन्‍ना को अच्‍छा समर्थन मिल रहा है और खासकर मीडिया कवरेज के कारण वे पूरे देश में सुर्खियों में हैं....और कम से कम यही अच्‍छी बात है....दूसरी तरफ युवाओं में उनके प्रति समर्थन की उम्‍मीद मुझे है...कम से कम वे इस बात को जरूर समझ रहे हैं और उनको इस वर्ग से समर्थन मिल भी रहा है...और आगे ये और बढ़ेगा ऐसी उम्‍मीद सबको है...
पर समाज के हर तबके से अन्‍ना को व्‍यापक समर्थन मिल पाना फिलहाल के समय में संभव नहीं दिखता है....और खासकर जब ऐसा कहा जा रहा है कि भ्रष्‍ट भारत में बहुसंख्‍यक समाज भ्रष्‍ट हो चुका है तब वही समाज कैसे अपने ही खिलाफ उठ खड़ा होगा...मेरे ख्‍याल में भ्रष्‍टाचार और ईमानदारी की परिभाषाओं के फेर में पड़ने की कोई जहमत नहीं उठाना चाहता हर व्‍यक्‍ित और वर्ग के अपने हित हैं और सभी अपने हितों की लड़ाई लड़ने में व्‍यस्‍त हैं...वैसे भी बढ़ती महंगाई और भौतिकतावादी युग में पीछे कोई नहीं रहना चाहता...सभी कैसे भी करके जल्‍दी आगे बढ़ने की होड़ में व्‍यस्‍त हैं...ये अनुभव अधिकांश लोगों ने अपने जीवन में किया होगा कि सिस्‍टम कैसे व्‍यक्ति को भ्रष्‍ट बनाता है....हालांकि ईमानदारी अभी बची हुई है पर बहुत थोड़ी जैसे चिडि़याघर तक सिमटा वन्‍य-जीवन....फिर भी हरिशंकर परसाई की इस उक्ति को कोई नहीं झुठला सकता कि- 'ईमानदार तभी तक ईमानदार है जब तक उसे बेईमान होने का मौका नहीं मिला'