पिछले कुछ दिनों में जरूर कुछ पढ़ा खासकर दो - तीन विदेशी लेखकों की किताबों का हिन्दी अनुवाद पढ़ा.... आजकल एक बात अच्छी हो गई है कि मूलरूप से दूसरी भाषाओं में लिखी गई किताबों के हिन्दी अनुवाद बहुत ही अच्छे हैं....लगता ही नहीं कि किताब मूलतः हिन्दी में नहीं लिखी गई... विदेशी बेस्टसेलर और 'हाईली रिकमेंड' कही जाने वाली किताबों के हिन्दी अनुवाद भी खूब बिक रहे हैं आजकल... भारतीय अँग्रेज़ी लेखन के भी हिन्दी संस्करण बाजार में उपलब्ध हैं पर मैंने कभी पढ़े नहीं....
वे दो तीन पुस्तकें भी इस कारण पढ़ डालीं कि इस बहाने कुछ नया पढ़ने को मिलेगा और जानने को मिलेगा कि इन बेस्टसेलर्स में होता क्या है....सबसे बड़ी बात कि ऐसे लेखकों की एक विशेषता होती है मेरी समझ मे... वो एक छोटी और साधारण बात को इतना अच्छे तरीके से... अलग अलग उदाहरणों से प्रस्तुत करके उसे इतना रोचक बना देते हैं कि पाठक के दिमाग में वह बात जम जाए..... और पढ़ने वाले को लगे कि वाकई लेखक ने कमाल की किताब लिख डाली है.... हालाँकि ऐसी किताबों की मार्केटिंग बहुत ही जबरदस्त होती है... इनका प्रचार इस प्रकार से किया जाता है कि यह वो पुस्तक है जो आपके जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकती है... जीवन में सफल होने के लिये इस किताब को जरूर पढ़ना चाहिए.. कुछ इस तरह से इनके बारे में बताया जाता है....
हालाँकि कुछ लोगों से बातें करने पर लगा कि उनके लिये ये किताबें ज्यादा महत्व की नहीं हैं.... क्योंकि इनमें वही सब कहा गया है जो हम पहले से जानते हैं.... पर इतना कह देने भर से इन किताबों को खारिज करना भी मैं जल्दबाजी ही मानूँगा...
हजार साल पहले किसी किसी किताब में कोई बात कह दी गई हो और अब उस बात को दुबारा से कह देना भले ही लोगों को मौलिक ना लगे... पर हममें से कितने हैं जो हज़ार साल पहले की पुस्तक को खोजेंगे.... भले ही हमने उसके बारे में सुन रखा हो... जो चीज सामने है उसे तो पढ़ ही डालें
खैर अपनी अपनी सोच है लोगों की.... यह भी सही है कि सबसे ज्यादा बिकना सबसे अच्छे होने की कसौटी नहीं है पर इन लिखने वालों की एक विशेषता तो है कि वे पाठक को ध्यान में रखकर लिखते हैं और भाषा सहज पठनीय होती है ... जबकि हिन्दी किताबें लिखने वालों का एक बड़ा तबक़ा कतई पाठकों को ध्यान में नहीं रखता लिखते समय... और ना ही एक आम पाठक के समझ में आ जाने वाली भषा से उसे सरोकार है.... और यही तबक़ा सबसे ज्यादा कुंठित है जब किताबें उनकी बिकती नहीं...
पर हिन्दी में नयी पीढ़ी के लेखक वाकई इन विदेशी लेखकों के बेस्टसेलर लेखन से अच्छा लिखने की क्षमता रखते हैं... और लगातार अच्छा लिख भी रहे हैं.... मार्केटिंग भी ठीकठाक हो ही रही है.... मुझे तो पूरा भरोसा है कि आगामी समय में बुकस्टॉल्स से लेकर ईकॉमर्स साइटों तक बेस्टसेलर्स भारतीय ही होंगे... वैसे भारतीय और हिन्दी साहित्य के लिये सबसे अच्छी बात यह है कि किताबों की उपलब्धता आज फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी साइटों के जरिये सब जगह हो गई है.....
पाठक को फोकस कर बढ़िया लेखन और हर जगह को पाठक की इंटरनेट के माध्यम से किताबों तक पहुँच....ये ट्रेंड धीरे धीरे बढ़ रहा है..... मेरे खुद के शहर में ऐसी एक भी दुकान नहीं जहां पढ़ने लायक कुछ भी उपलब्ध हो... जितनी भी किताबें मेरे पास हैं सब बाहर से खरीदी गई हैं... पर अब इंटरनेट से खरीदने की शुरूआत की है और घर पर ही आ जाती है किताब... किताब भी वाजिब दामों में फ्री शिपिंग सुविधा के साथ... इससे मेरे जैसे पुराने शौकीन फिर इस शौक की तरफ लौटेंगे