काजी(अनुराग सिन्हा) की जो अफगानिस्तान के किसी आतंकवादी शिविर से प्रशिक्षण लेकर दिल्ली आता है। वह एक फियादीन हमलावर है जो 15 अगस्त के दिन दिल्ली के लाल किले पर विस्फोट करने के मकसद से दिल्ली आया है। दिल्ली में वह चांदनी चौक में एक रिश्तेदार के यहां ठहरा हुआ है। फिल्म में अनिल कपूर एक उर्दू प्रोफेसर राजन माथुर की प्रभावी भूमिका में हैं साथ ही उर्दू शायर की भूमिका में गफ्फार भाई(हबीब तनवीर) भी हैं।
Saturday, March 15, 2008
और भी रंग हैं जिंदगी के: ब्लैक एंड व्हाइट
सिनेमाघर में जाकर पता लगा कि ब्लैक एंड व्हाईट सुभाष घई की फिल्म है। ऐसा फिल्मकार जिसकी फिल्मों में बड़े स्टार, भव्य सेट्स, लार्जर दैन लाइफ कहानियां और मधुर संगीत होता है, इस बार लीक से हटकर कुछ प्रयोग कर रहा है यह जानकर अच्छा लगा। हालांकि शोमैन सुभाष की फिल्में मुझे कभी अच्छी नहीं लगीं पर उनकी फिल्मों का संगीत जरूर लुभाता है। पर इस बार उन्होंने अपनी शोमैन की छवि को बदलने का प्रयास किया है। वैसे भी पिछले काफी समय से उनके सितारे गर्दिश में ही चल रहे हैं और उनकी बड़े बजट की फिल्में पिट भी चुकी हैं। शायद यही कारण है कि वे ‘चक दे इंडिया’ और ‘तारे जमीं पर’ के समय में सामाजिक सरोकारों वाली फिल्मों पर सोचने लगे हैं।
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2 comments:
समीक्षा तो सई लिखे हो गुरु!!
भाई, समीक्षा हो तो ऐसी !
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