Monday, June 15, 2009

ये बेजुबान भी हमारे अपने हैं

कुछ समय पहले मेरे पास एक एसएमएस आया जिसे यहां प्रस्‍तुत कर रहा हूं-

HUMBLE REQUEST:
Plz keep a bowl in ur balcony or window so that BIRDS can drink water as it too hot this summer for all lives...plz fwd it to all..

बचपन में मैं हमेशा पक्षियों के लिए पानी का इंतजाम कर देता था...पर कुछ समय से थोड़ा आलसी हो गया हूं...पर मेरी एक रिश्‍ते की बहन ने एसएमएस करके फिर से मुझे इसके लिए उकसाया और अपना आलस त्‍यागकर छत पर गया तो दो पुराने मटके रखे हुए थे। उनके ऊपरी हिस्‍से को काटकर मैंने उनमें पानी भरा और अलग-अलग जगहों पर रख दिया।
इस एसएमएस को यहां रखने का यही उद्देश्‍य सभी को इसके लिए उकसाना है कि अपने घरों की छतों, बालकनियों, छायादार स्‍थानों पर गर्मियों में मिट्टी के बर्तन या पुराने मटकों इत्‍यादि में पानी भरकर रखें जिससे बेचारे प्‍यासे पक्षी अपना कंठ तर कर सकें।
वैसे भी हमारे भारत में प्‍यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्‍य माना गया है तो क्‍यों ना मुफ्त में पुण्‍य भी बटोर लें :-) ।

7 comments:

निर्मला कपिला said...

bahut badiyaa prerak post ke liye abhar

सुशील छौक्कर said...

ये काम तो हमारे घर में बरसों से हो रहा है। साथ ही रोटी के लिए भी एक मिट्टी का बर्तन भी रखा जाता है। और यह काम मेरे पिताजी करते है हर रोज। साथ ही साथ उनका मानना है कि यह दान अपने हिस्से में से होना चाहिए ना कि दूसरे के हिस्से में से। वैसे भुवनेश जी दिल्ली में तो इस पर चालान भी काट दिया जाता है नगर निगम के जरिऐ। यह कह कर कि इसमें मच्छर पल सकते है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाकई जरूरी काम है। बाराँ में यह होता था। कोटा मे कम ही देखा। यहाँ वैसे भी प्राकृतिक जल स्रोत की कमी नहीं है जहाँ साल भर पक्षियों को पानी मिलता है।

Udan Tashtari said...

हम तो हर गर्मी में दाना और पानी दोनों का पुण्य लूट ही लेते हैं. स्वार्थ यह है कि देख कर मन शांत हो जाता है.

Anonymous said...

हमारे घर में हौदनुमा बड़ा सा जल भडार जमीन की सतह पर है। तमाम पक्षियों और सरीसृपों को पानी पीते देखना एक अलग ही अनुभव होता है।

पुण्य मिले, ना मिले, सतुष्टि अवश्य मिलती है।

Gyan Dutt Pandey said...

अच्छा लिखा आपने।
हमारे घर में इस काम के लिये पुराने कूलर की टंकी है। और मेरी मां गेहूं सुखाने डालती हैं। उसमें सब जीवों का हिस्सा निकलता है!

Smart Indian said...

इसी प्रकार याद दिलाते रहोगे तो कई भूले हुए अच्छे लोग इस पुरानी परम्परा को फिर से अपना सकेंगे, शुक्रिया!